फैज़ाने फ़ारुके आज़म र०अ०
जब उमर फ़ारूक़ رضی اللہ تعالیٰ عنہ मुसलमान हुए नमाज़ का वक़्त हुआ तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: "सहाबा तैयारी करो नमाज़ की-" उमर फारूक़ رضی اللہ تعالیٰ عنہ ने कहा: "हुज़ूर नमाज़ कहां पढ़ेंगे ?" आक़ा करीम ﷺ ने फ़रमाया: "किसी कोने में छुप के पढ़ते हैं-" उमर फारूक़ ने कहा: "हुज़ूर आपके क़दमों पे मेरे मां बाप क़ुर्बान अगर अब भी छुप कर नमाज़ पढ़ें तो उमर के मुसलमान होने का क्या फायदा ?" उमर फारूक़ رضی اللہ تعالیٰ عنہ ने कहा: "हुज़ूर आज नमाज़ काबातुल्लाह में पढ़ेंगे-" हुज़ूर ने फ़रमाया: "उमर कुफ्फार का बड़ा गलबा है-" वाह मेरे खुदा उमर फारूक़ घोड़े पे सवार हुए मक्के के चौकों पे जाकर गलियों में जाकर अपने घोड़े पे सवार होकर चलते हुए ये ऐलान किया कि: "मक्के वालो ! आ जाओ आज मैं कलिमा पढ़कर मुहम्मद मुस्तफा ﷺ का गुलाम बनकर आया हूं आज हम काबातुल्लाह में नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं अगर किस