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बुरे मर्द की पहचान

बुरे मर्द की पहचान 1 तकब्बूर करेगा। 2.अकड के बोलेगा। 3. दिखावा ज्यादा करेगा। 4.बदजुबान होगा। 5. अकड कर चलेगा। 6. खानदान में सबको जलील करेगा। 7. अपने पैसे पर नाज करेगा। 8. अपने सेहत पर नाज करेगा। 9. बुजुर्गों को जलील करके खुश होगा। 10. अपनी जवानी के किस्से ज्यादा सुनाया करेगा। 11. हासिद होगा। 12. मां बाप का नफरमानहोगा। ●●●●●●●●●●●●●●● ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● 💁 बुरी औरत की पहचान 1. अपने आप को ढांप कर नहीं रखेगी। 2. अपने खाविंद की नफरमानी करेगी। 3.बदजुबान होगी। 4. बालों की नुमाईश करेगी। 5.खानदान भर में अपने आपको आकिल ख्याल करेगी। 6.दुसरों को बात न करने देगी। 7. नींद उसे बहुत अजीज होगी। 8.अपनी आवाज को बहुत बुलंद करके बात करेगी। 9. कपड़े बारीक और दिखावे वाले पहनेंगी। 10. पीठ पिछे अपने खानदान की बुराई करेगी। 11. बाजारों के चक्कर लगाने की शौकीन होगी। हज़रत मुहम्मद स०अ०व० ने फरमाया  जब आज़ान दी जाए तो हर काम छोड़ दो यहाँ तक कि कुरान पढ़ना भी,जो शख्स आज़ान के दरमियाँ बात करता है तो मौत के वक्त उसे कलमा नसीब नहीं होगा ! इसको एक दोस्त तक जरूर पहुँचाना क्यूंकि अच्छी बात

फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयानبِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْماَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयान بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ #Part 2        सारी मशक़्क़तें और तकलीफें सिर्फ इसी लिये तो गवारा कर ली जाती है कि इन के पीछे या तो अज़ाब का खतरा लाहिक है या फिर दाईमी आसाईशो राहत का तसव्वुर मज़हब की हिदायत पर चलने की तरग़ीब देता है।     अक़ीदए आख़ेरत के येह दो मुहर्रीकात है जो दिल के इरादों पर हुकूमत करते हैं। दूसरे लफ़्ज़ों में इसी अक़ीदे का नाम *ईमान बिलग़ैब* है, या'नी अपनी आंख से देखे और अपने कान से सुने बिगैर उन हकाइक का अपने मुशाहदे से भी बढ़ कर यकीन किया जाए जिन की खबर रसूले आज़म ﷺ के ज़रिए हम तक पहुंची है। बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله *✍अक़ीद-ए-आख़िरत*  पेज 5 ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•

फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयानبِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْماَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयान بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ #Part 1 पहला इक्तिबास        माद्दीयत परस्ती के इस दौर में वाजेह तौर पर महसूस कर रहा हूं कि हमारे अफ़्कार व आमाल पर अब मज़हब की गिरिफ्त दिन ब दिन ढीली पड़ती जा रही है, और इसकी वजह यह है कि आख़िरतकी वाज़पुर्स का खतरा अब एक तसव्वुरे मौहूम हो कर रह गया है। हांला कि गौर फरमाइये तो मज़हब की बुन्याद ही अक़ीदए आख़िरत पर है।       अक़ीदए आख़िरत का मतलब यह है कि इस बात का यकीन दिल में रासिख हो जाए कि हम मरने के बाद फिर दोबारा ज़िन्दा किये जाएंगे और खुदा के सामने हमें अपनी ज़िंदगी के सारे आमालका हिसाब देना होगा और अपने अमल के ए'तिबार से जज़ा व सज़ा दोनों तरह के नताइज का हमें सामना करना पड़ेगा, इसी *यौमुल हिसाब* का नाम मज़हबे इस्लाम की ज़बान में क़ियामत है। बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله *✍अक़ीद-ए-आख़िरत*  पेज 4 ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●