फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयानبِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْماَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
फिक्रे आख़िरत का मुख्तसर बयान
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
#Part 2
सारी मशक़्क़तें और तकलीफें सिर्फ इसी लिये तो गवारा कर ली जाती है कि इन के पीछे या तो अज़ाब का खतरा लाहिक है या फिर दाईमी आसाईशो राहत का तसव्वुर मज़हब की हिदायत पर चलने की तरग़ीब देता है।
अक़ीदए आख़ेरत के येह दो मुहर्रीकात है जो दिल के इरादों पर हुकूमत करते हैं। दूसरे लफ़्ज़ों में इसी अक़ीदे का नाम *ईमान बिलग़ैब* है, या'नी अपनी आंख से देखे और अपने कान से सुने बिगैर उन हकाइक का अपने मुशाहदे से भी बढ़ कर यकीन किया जाए जिन की खबर रसूले आज़म ﷺ के ज़रिए हम तक पहुंची है।
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
#Part 2
सारी मशक़्क़तें और तकलीफें सिर्फ इसी लिये तो गवारा कर ली जाती है कि इन के पीछे या तो अज़ाब का खतरा लाहिक है या फिर दाईमी आसाईशो राहत का तसव्वुर मज़हब की हिदायत पर चलने की तरग़ीब देता है।
अक़ीदए आख़ेरत के येह दो मुहर्रीकात है जो दिल के इरादों पर हुकूमत करते हैं। दूसरे लफ़्ज़ों में इसी अक़ीदे का नाम *ईमान बिलग़ैब* है, या'नी अपनी आंख से देखे और अपने कान से सुने बिगैर उन हकाइक का अपने मुशाहदे से भी बढ़ कर यकीन किया जाए जिन की खबर रसूले आज़म ﷺ के ज़रिए हम तक पहुंची है।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍अक़ीद-ए-आख़िरत* पेज 5
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