हिकायते_मौलाना_रूम_رحمتہ_اللہ_علیہ Arzooemadina.blogspot.com आदमी ने तोता रखा हुआ था,उस आदमी ने कहा कि: "मैं दूर के सफर पर जा रहा हूं, वहां से कोई चीज़ मंगवानी हो तो बता-" तोते ने कहा कि: "वहां तो तोतों का जंगल है, वहां हमारे गुरु रहते हैं- हमारे साथी रहते हैं, वहां जाना और गुरु तोते को मेरा सलाम कहना और कहना कि एक गुलाम तोता,पिंजरे में रहने वाला,गुलामी में पाबंद,पाबंदे क़फस..आपके आज़ाद तोतों को सलाम करता है-" सौदागर वहां पहुंचा और उसने जाकर ये पैगाम दिया- अचानक जंगल में फड़फड़ की आवाज़ आई,एक तोता गिरा,दूसरा गिरा और फिर सारा जंगल ही मर गया- सौदागर बड़ा हैरान कि ये पैगाम क्या था,क़यामत ही थी-उदास हो के चला आया- वापसी पर तोते ने पूछा कि: "क्या मेरा सलाम दिया था ?" उसने कहा कि: "बड़ी उदास बात है,सलाम तो मैंने पहुंचा दिया मगर तेरा गुरु मर गया और सारे चेले भी मर गए-" इतना सुनना था कि वो तोता भी मर गया- सौदागर को बड़ा अफसोस हुआ- उ...
खिलाफते आब्बासिया के कारनामे(अब्बासी खिलाफत) भाग 1 अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद पहला अब्बासी ख़लीफ़ा है। उसकी शासन-अवधि मात्र चार साल है। यह सारा समय विरोधियों को कुचलने और नई हुकूमत को मज़बूत बनाने में गुज़रा। ख़लीफ़ा ने इराक़ में शहर अंबार को अपनी राजधानी बनाई और 134 हि./751 ई. में उस शहर के निकट हाशमिया के नाम से नया शहर बताया। खिलाफते आब्बासिया के कारनामे(अब्बासी खिलाफत) चीनियों से दारुल इस्लाम की जंग इतिहासकारों ने अब्दुललाह बिन मुहम्मद की बुद्धि, विवेक और अख़लाक़ (सदाचार) की प्रशंसा की है। उनके दौर की एक महत्वपूर्ण घटना जिसे मुसलमान इतिहासकारों ने महत्व दिया, जंगे तालास है। यह जंग राजधानी से बहुत दूर तुर्किस्तान की पूर्वी सीमा पर मुसलमानों और चीनियों के बीच 751 ई. में हुई थी। चीनियों ने मुसलमानों की घरेलू लडा़ई से फ़ायदा उठाकर तुर्किस्तान पर क़ब्ज़ा करने की अन्तिम बार कोशिश की थी, परन्तु इस तालास की जंग में हारने के बाद हमेशा के लिए तुर्किस्तान से हाथ धो बैठे। खलीफा मंसूर का न्याय और शासन व्यवस्था (136 हि./751 ई. से 158 हि./775 ई.) मंसू...
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