चुगलखोर की मज़म्मत #02 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *_क्या हम चुगली से बचते है ?_* अफ़सोस ! अक्सर लोगों की गुफ्तगू में आज कल गीबत व चुगली का सिलसिला बहुत ज़्यादा पाया जाता है। दोस्तों की बैठक हो या मज़हबी इजत्माअ के बाद जमघट, शादी की तक़रीब हो या ताज़ियत की निशस्त, किसी से मुलाक़ात हो या फोन पर बात, चन्द मिनट भी अगर किसी से गुफ्तगू की सूरत बीने और दीनी मालूमात रखने वाला कोई हस्सास फर्द अगर उस गुफ्तगू की तशखिस करे तो शायद अक्सर मजालिस में दीगर गुनाहों भरे अलफ़ाज़ के साथ साथ वो दर्जनों चुगलिया भी साबित कर दे। हाए ! हाए ! हमारा क्या बनेगा !!!एक बार फिर इस हदिष पर गौर कर लीजिये : "चुगल खोर जन्नत में नहीं जाएगा।" काश !हमें हक़ीक़ी मानो में ज़बान का कुफले मदीना नसीब हो जाए, काश ! ज़रूरत के सिवा कोई लफ्ज़ ज़बान से न निकले, ज़्यादा बोलने वाले और दुन्यवी दोस्तों के झुरमट में रहने वाले का गीबत और बिल खुसुस चुगली से बचना बेहद दुश्वार है। आह ! हदिष में है : "जिस शख्स की गुफ्...
Comments