जवानी कैसे गुजारे
जवानी कैसे गुज़ारे ?
( Part 04)
जवानी की इबादत बुढ़ापे में सबबे आफिय्यत
✴ कल की पोस्ट से पता चला कि तिलावते क़ुरआन करने वाला नौ जवान अगर बुढ़ापे की दहलीज़ पर पहुंच गया तो क़ुरआन की तिलावत की बरकत से उस हालत में भूल जाने की आफत से महफूज़ रहेगा।
✴ये मन्ज़र तो आम मुलाहज़ा किया जा सकता है कि अक्सर बूढ़े बेहूदा गोई व भूल जाने के मरज़ में मुब्तला नज़र आते है लेकिन बाज़ खुश नसीब ऐसे भी है जो अगर्चे बुढ़ापे की मन्ज़िल से हम-कनार है, लेकिन फिर भी इल्म जलालत और ज़ेहनी कुव्वत की ऐसी शानो शौकत कि देखने वाले को इन्तिहाई हैरत में डाल दें, इन सारी अज़मतों का एक सबब जवानी की इबादत और क़ुरआने पाक की तिलावत है।
📚✍🏼जवानी कैसे गुजारे 8
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