जवानी कैसे गुजारे
जवानी कैसे गुज़ारे ?
( Part 06)❤ जवानी की क़द्र कीजिये ❤
❤ जवानी के मुतअल्लिक़ मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه के तहरीर कर्दा कलाम का खुलासा है : जवानी खेलकूद में गंवा कर बुढ़ापे में जब कि आज़ा बेकार हो जाएं, कसरते इबादत की ख्वाहिश करना बे वक़ूफी है, जो करना है जवानी में कर लो कि जवाने सालेह का बहुत बड़ा दर्जा है। लिहाज़ा सिह्हत, जवानी, मालदारी और ज़िन्दगी को ज़ाए न जाने दो, इस में नेक आमाल कर लो कि यह नेअमतें बार बार नहीं मिलती।
❤मियां मुहम्मद बख्श رحمة الله عليه फ़रमाते है : ये हसीन जवानी हमेशा सलामत नहीं रहती और न ही दोस्त व अहबाब की सोहबतें हमेशा बाक़ी रहती है। बाग़ में रोज़ाना चह-चहाने वाली बुलबुलें और बाग़ की बहारें भी सदा रहने वाली नहीं।
✍🏼मीरआतुल मनाजिह् 7/16
✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे 12
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