जवानी कैसे गुजारे

 जवानी कैसे गुज़ारे ? 

    (Part 07)

 ❤ बे वक़्ते रिहलत हज़रत अमीरे मुआविया का फरमान 


    हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه का जब वक़्ते विसाल क़रीब आया, तो आप ने फ़रमाया : मुझे बिठाओ। जब बिठाया गया तो आप ज़िकरुल्लाह और तस्बीह में मश्गुल हो गए। फिर रोते हुए अपने आप को मुखातब कर के (बतौरे आजिज़ी) फरमाने लगे : ऐ मुआविया ! अब बुढ़ापे और कमज़ोरी के वक़्त अल्लाह का ज़िक्र याद आया, उस वक़्त क्या था जब जवानी की शाख तरो ताज़ा थी।

 बुज़ुर्गो की आजिज़ी हमारे लिये रहनुमाई

    ❤  हमारे अस्लाफे किराम किस क़दर नेकियों के क़द्रदान और आजिज़ी के पैकर थे कि महबूबे रब्बे अकबर ﷺ के जलिलुल क़द्र सहाबी होने और सारी ज़िन्दगी नेकियों में बसर करने के बा वुजूद हसरत है कि काश ! कसरते इबादतों रियाज़त की मज़ीद सआदत नसीब हो जाती, आप رضي الله عنه की इस आजिज़ी में हमारे लिये रहनुमाई है कि ऐ जवानो ! जवानी बहुत बड़ी नेअमत है, इस की क़द्र करो, इसे फुज़ूलियत में मत गुज़ारो वरना जब होश आएगा तो उस वक़्त तीर कमान से निकल चुका होगा और कमान से निकले तीर वापस नहीं आया करते।

 ✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे 13


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