जवानी कैसे गुजारे

*जवानी कैसे गुज़ारे ?* 


   ✴(Part nu. 01)✴



*मताए वक़्त की क़द्र कीजिये*


     वक़्त की ना क़द्री बिल आखिर नदामत लाती है, खुसुसन अय्यामे जवानी में बे फ़िक्री, ला परवाही और इन हसीन लम्हात की बे क़द्री बुढ़ापे में पछतावे का सबब बनती है। क्यूं कि जिन की जवानी का सफर गुनाहों की तारीकियों में गुज़रता है जब वो बुढ़ापे के आलम में नेकियों की रोशनियों की तरफ रुख मोड़ते है तो बहुत देर हो चुकी होती है और उस वक़्त आदमी कुछ करना भी चाहे तो जिस्म व आज़ा की कमज़ोरी और सिह्हत की खराबी हौसले पस्त कर देती है।
     लिहाज़ा जब तक जवानी की नेअमत है और सिह्हत सलामत है, तो इस को गनीमत जानते हुए ज़्यादा से ज़्यादा इबादत और अच्छे कामों की आदत पर इस्तिकामत पाने की कोशिश कीजिये और अगर आज नेकियों से जी चुरा कर, बदियों में दिल लगा कर हिम्मत व स्लाहिय्यत और वक़्त की नेअमत गंवा बैठे तो कल पछतावा होगा लेकिन उस वक़्त का पछतावा और अफ़सोस से हाथ मलना किसी काम न आएगा।
     वक़्त की तेज़ रफ़्तार धार हमारे दिन रात को काटती चली जा रही है, वक़्त की लगाम कब किसी के हाथ आई है और वक़्त की गाडी से कौन कहे कि ज़रा आहिस्ता चल !
     पस आज वक़्त की क़द्र कीजिये और इस से फायदा उठाइये वरना फिर गया वक़्त याद तो आएगा मगर हाथ न आएगा।

*✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे* 7

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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