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हिकायते_मौलाना_रूम_رحمتہ_اللہ_علیہ

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हिकायते_मौलाना_रूम_رحمتہ_اللہ_علیہ Arzooemadina.blogspot.com आदमी ने तोता रखा हुआ था,उस आदमी ने कहा कि:            "मैं दूर के सफर पर जा रहा हूं, वहां से कोई चीज़ मंगवानी हो तो बता-" तोते ने कहा कि:            "वहां तो तोतों का जंगल है, वहां हमारे गुरु रहते हैं- हमारे साथी रहते हैं, वहां जाना और गुरु तोते को मेरा सलाम कहना और कहना कि एक गुलाम तोता,पिंजरे में रहने वाला,गुलामी में पाबंद,पाबंदे क़फस..आपके आज़ाद तोतों को सलाम करता है-" सौदागर वहां पहुंचा और उसने जाकर ये पैगाम दिया- अचानक जंगल में फड़फड़ की आवाज़ आई,एक तोता गिरा,दूसरा गिरा और फिर सारा जंगल ही मर गया- सौदागर बड़ा हैरान कि ये पैगाम क्या था,क़यामत ही थी-उदास हो के चला आया- वापसी पर तोते ने पूछा कि:          "क्या मेरा सलाम दिया था ?" उसने कहा कि:         "बड़ी उदास बात है,सलाम तो मैंने पहुंचा दिया मगर तेरा गुरु मर गया और सारे चेले भी मर गए-" इतना सुनना था कि वो तोता भी मर गया- सौदागर को बड़ा अफसोस हुआ- उसने मुर्दा तोते को उठा कर बाहर फेक दिया- तोता फौरन उड़ गया और शा

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ईद का वजीफा

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जो शख्स ईद के दिन तीन सौ मर्तबा سبحان الله وبحمده पढ़े और फ़ौत शुदा मुसलमानों की अरवाह को इसाल ए सवाब करे तो हर मुसलमान की कब्र में एक हज़ार अनवार दाखिल होते है और जब वो पढ़ने वाला खुद मरेगा अल्लाह तआला उसकी क़ब्र में भी एक हज़ार अनवार दाखिल फरमाएगा (ये दोनों ईदेन में किया जा सकता है)  ( मकासिफ अल कुलूब सफा 308)

एक अनोखी तदबीर ,यह वाक्य एक बार जरूर पढ़ें

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एक अल्लाह वाले को एक शख्स ने खत लिखा कि:            "मेरी आंखे बे इख्तियार गलत चीज यानी ना महरमों (पराई औरत) की तरफ उठ जाती है, इसलिए कोई इलाज बताएं-" हज़रत ने जवाब में लिखा कि:            "अगर बे इख्तियार उठ जाती हैं तो आपको फिक्र की क्या जरूरत है? आप परेशान क्यूं हैं?  उठने दीजिये क्योंकि गैर इख्तियार चीज पर कोई गुनाह लाज़िम नही आता-" इस जवाब से उनको एहसास हुआ कि मैने गलत बयानी की है... बे इख्तियार आंखे नही उठती हैं- लिहाजा दूसरा खत लिखा कि:                "हजरत ! बे इख्तियार तो नही इख्तियार से ही उठती हैं- लेकिन निगाह उठने के बाद नीचे करने की ताक़त नही पाता-" इसका जवाब हजरत ने लिखा कि:               "ये बात भी तुम्हारी गलत है, इसलिए कि फलसफे का ये माना हुआ उसूल है कि किसी भी चीज का इख्तियार दोनो तरफ से मुतालिक होता है,  तरफैन से मुतालिक होता है यानी आदमी अगर कोई काम कर सकता है तो उस काम को ना करने की भी ताकत रखता है, ऐसा नही कि कर तो सके, लेकिन ना करने की ताकत ना रहे, ये चीज उठा रहा हूं, अगर चाहूं तो ना उठाऊं, दोनो

खिलाफते आब्बासिया के कारनामे(अब्बासी खिलाफत)

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खिलाफते आब्बासिया के कारनामे(अब्बासी खिलाफत) भाग 1 अब्‍दुल्‍लाह बिन मुहम्‍मद पहला अब्‍बासी ख़लीफ़ा है। उसकी शासन-अवधि मात्र चार साल है। यह सारा समय विरोधियों को कुचलने और नई हुकूमत को मज़बूत बनाने में गुज़रा। ख़लीफ़ा ने इराक़ में शहर अंबार को अपनी राजधानी बनाई और 134 हि./751 ई. में उस शहर के निकट हाशमिया के नाम से नया शहर बताया। खिलाफते आब्बासिया के कारनामे(अब्बासी खिलाफत) चीनियों से दारुल इस्लाम की जंग इतिहासकारों ने अब्‍दुललाह बिन मुहम्‍मद की बुद्धि, विवेक और अख़लाक़ (सदाचार) की प्रशंसा की है। उनके दौर की एक महत्‍वपूर्ण घटना जिसे मुसलमान इतिहासकारों ने महत्‍व दिया, जंगे तालास है। यह जंग राजधानी से बहुत दूर तुर्किस्‍तान की पूर्वी सीमा पर मुसलमानों और चीनियों के बीच 751 ई. में हुई थी। चीनियों ने मुसलमानों की घरेलू लडा़ई से फ़ायदा उठाकर तुर्किस्‍तान पर क़ब्‍ज़ा करने की अन्तिम बार कोशिश की थी, परन्‍तु इस तालास की जंग में हारने के बाद हमेशा के लिए तुर्किस्‍तान से हाथ धो बैठे। खलीफा मंसूर का न्याय और शासन व्यवस्था (136 हि./751 ई. से 158 हि./775 ई.) मंसू

शबे कद्र को तलाश करो

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नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया

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🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃 🌺नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: मैं तीन बातों पर क़सम खाता हूँ और मैं तुम लोगों से एक बात बयान कर रहा हूँ जिसे याद रखो, 1⃣किसी बंदे के माल में सदक़ा देने से कोई कमी नहीं आती ( ये पहली बात है ), 2⃣और किसी बंदे पर किसी किस्म का ज़ुल्म हो और इस पर वो सब्र करे तो अल्लाह उस की इज़्ज़त को बढ़ा देता है ( दूसरी बात है ), 3⃣और अगर कोई शख़्स दुसरों के आगे हाथ फैलाए तो अल्लाह उसके लिए फक्र (फ़कीरी) और मोहताजी का दरवाज़ा खोल देता है। 🌺نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا، ”میں تین باتوں پر قسم کھاتا ہوں اور میں تم لوگوں سے ایک بات بیان کر رہا ہوں جسے یاد رکھو“،  1⃣”کسی بندے کے مال میں صدقہ دینے سے کوئی کمی نہیں آتی ( یہ پہلی بات ہے ) ،  2⃣اور کسی بندے پر کسی قسم کا ظلم ہو اور اس پر وہ صبر کرے تو اللہ اس کی عزت کو بڑھا دیتا ہے ( دوسری بات ہے ) ،  3⃣اور اگر کوئی شخص دوسروں کے اگے ہاتھ پھیلائے تو اللہ اس کے لیے فقر (فقیری) و محتاجی کا دروازہ کھول دیتا ہے“۔ *📚Jamiat Tirmidhi: Hadith no. 2325*

आज का पैग़ाम

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आज का पैग़ाम हमारे गुनाह कोरोना बीमारी से भी खतरनाक है उन से भी दूर रह कर तौबा करे