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Showing posts from August, 2017

ईदुल अज़हा की सुन्नतें

☆☆ईदुल अज़हा की सुन्नतें☆☆ 1. 9 ज़िल हज्जा की फ़ज्र से 13 ज़िल हज्जा की अस्र तक तकबीरात कहना । [बैहक़ी: 3/314] 2. तकबीरात: अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द. [इब़्न अबी शैबा: 5652] 3. गुस्ल करना । [बैहक़ी: 3/278] 4. अच्छा कपड़ा पहनना । [बैहक़ी: 3/281] 5. खुशबू लगाना और मिसवाक करना । [इब्न माजह: 1098] 6. नमाज़ ए ईदुल अज़हा से पहले कुछ न खाना । [तिर्मिज़ी: 542] 7. नमाज़ ए ईदुल अज़हा के लिये ईद गाह जाना । [बुखारी: 956] 8. ईद गाह पैदल जाना । [तिर्मिज़ी: 530] 9. अपने दोस्तों और क़रीब वालों के साथ ईद गाह जाना । [इब़्न ख़ुज़ैमा: 1431] 10. घर से ईद गाह जाने तक तकबीरात कहना । [बैहक़ी: 3/669] 11. तकबीरात: अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द. [इब़्न अबी शैबा: 5652] 12. नमाज़ ए ईदुल अज़हा के लिये एक रास्ते से जाना और दुसरे रास्ते से वापीस आना । [बुखारी: 986] 13. नमाज़ ए ईदुल अज़हा के बाद क़ुर्बानी करना । [बुखारी: 5546] 14. नमाज़ ए ईदुल अज़हा के बाद क़ुर्बानी का गोश

Special Day of Arfa

✦ Mafhum-e-Hadith: Allah subhanahu apne bando ko sabse zyada Arfa ke din aag se aazad karta hai ----------- ✦ Aisha Radi allahu anha se rivayat hai ki Rasoollallah sallallahu alaihi wasallam ne farmaya Arfa se badh kar koi din aisa nahi jismein Allah subhanahu apne bando ko aag se aazad karta ho jitna ki arfa ke din aazad karta hai , Allah subhanahu qareeb se qareeb hota hai aur farishto ke samne bando ka haal dekh kar fakhr karta hai aur farmata hai ki ye kis irade se jama huye hain ? Sahih Muslim, Vol 3, 3288 ----------- حضرت عائشہ رضی اللہ تعالیٰ عنہا نے کہا:بلاشبہ اللہ کے رسول صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کوئی دن نہیں جس میں اللہ تعالیٰ عرفہ کے دن سے بڑھ کر بندوں کو آگ سے آزاد فرماتا ہو،وہ ( اپنے بندوں کے ) قریب ہوتا ہے۔ اور فرشتوں کے سامنے ان لوگوں کی بناء پر فخر کرتا ہے اور پوچھتا ہے:یہ لوگ کیا چاہتے ہیں؟ صحیح مسلم جلد ۳ ۳۲۲۷ ----------- ✦ आईशा रदी अल्लाहू अन्हा  से रिवायत है की रसूल्लअल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम  ने फरमाया रफ़ा से बढ़ कर कोई दिन ऐसा नही जिसमें अल्लाह

इस्लाम में दोस्त का मक़ाम

 इस्लाम मै दोस्त की शान *हज़रत अली* ने अपने बेटे *हज़रत इमाम हसन* से फ़रमाया... बेटा जब तुम पर कोई सख्ती/मुश्किल आ जाए तो अपने "दोस्तों" से ज़िक्र किया करो, क्यूंकि उसके 4 नतीजे निकलेंगे... 1) या अपने ज़िम्मे ले लेगा.. 2) या मदद दे देगा... 3) या मश्वरे से रहनुमाई करेगा.. 4) या फिर दुआ करेगा जो कबूल होगी... कितना बड़ा मक़ाम हे दोस्त का..  सभी दोस्तों के लिए।  

मसाइले कुरबानी

मसाइले क़ुरबानी 1.जिन लोगों पर क़ुरबानी वाजिब नहीं वो अगर ज़िल्हज्ज के 10 दिनों तक बाल नाख़ून न काटें,तो क़ुरबानी का सवाब पाएंगे 📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 131 2. साहिबे निसाब यानि जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म जो कि तक़रीबन 23000 बन रही है अगर क़ुर्बानी के दिनों में मौजूद है तो उसपर क़ुर्बानी वाजिब है,क़ुर्बानी वाजिब होने के लिये माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं 📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132 3. साहिबे निसाब औरत पर खुद उसके नाम से क़ुरबानी वाजिब है,मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं 📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132 4. रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान हाजते असलिया में दाखिल हैं 📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 133 📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160 5. हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो इसतेताअत रखने के बावजूद क़ुरबानी न करे तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब न आये 📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 129 6. 10,11,12 ज़िल्हज्ज को अल्लाह को क़ुरबानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं,जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले

चुगलखोर की मज़म्मत

चुगलखोर की मज़म्मत      #02 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *_क्या हम चुगली से बचते है ?_*      अफ़सोस ! अक्सर लोगों की गुफ्तगू में आज कल गीबत व चुगली का सिलसिला बहुत ज़्यादा पाया जाता है। दोस्तों की बैठक हो या मज़हबी इजत्माअ के बाद जमघट, शादी की तक़रीब हो या ताज़ियत की निशस्त, किसी से मुलाक़ात हो या फोन पर बात, चन्द मिनट भी अगर किसी से गुफ्तगू की सूरत बीने और दीनी मालूमात रखने वाला कोई हस्सास फर्द अगर उस गुफ्तगू की तशखिस करे तो शायद अक्सर मजालिस में दीगर गुनाहों भरे अलफ़ाज़ के साथ साथ वो दर्जनों चुगलिया भी साबित कर दे।      हाए ! हाए ! हमारा क्या बनेगा !!!एक बार फिर इस हदिष पर गौर कर लीजिये : "चुगल खोर जन्नत में नहीं जाएगा।" काश !हमें हक़ीक़ी मानो में ज़बान का कुफले मदीना नसीब हो जाए, काश ! ज़रूरत के सिवा कोई लफ्ज़ ज़बान से न निकले, ज़्यादा बोलने वाले और दुन्यवी दोस्तों के झुरमट में रहने वाले का गीबत और बिल खुसुस चुगली से बचना बेहद दुश्वार है। आह ! हदिष में है : "जिस शख्स की गुफ्तगू ज़्यादा हो उसकी गलतियां भी

चुगल खोर की मज़म्मत

चुगल खोर की मज़म्मत #01 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ      फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : चुगल खोर जन्नत में दाखिल नहीं होगा। *✍🏼صحيح البخاري*      क़त्तात् वो शख्स है जो दो मुखालीफों की बातें छुप कर सुने और फिर उन्हें ज़्यादा लड़ाने के लिये एक की बात दूसरे तक पहुंचाए। अगर ये शख्स ईमान पर मरा तो जन्नत में अव्वलन न जाएगा बाद में जाए तो जाए अगर कुफ़्र पर मरा तो कभी वहाँ न जाएगा। (मुस्लिम शरीफ में नम्माम् का लफ्ज़ इस्तिमाल हुवा है)      जो दो तरफा झूटी बातें लगा कर सुल्ह करा दे वो नम्माम् नही मुस्लेह है, नम्माम् वो है जो लड़ाई व फसाद के लिये ये हरकत करे। *✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/452* *_चुगली किसे कहते है ?_*      अल्लामा ऐनी رحمة الله عليه  ने इमाम नववी عليه رحما से नकल फ़रमाया की किसी की बात ज़रर (यानी नुक़्सान) पहुचाने के इरादे से दूसरों को पहुचाना चुगली है। *✍🏼عمدة القارى* बाक़ी अगली पोस्ट में أن شاء الله  *✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 66* ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●• 📧facebook.com/Arzooemad

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