जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)••🌸
🌸••जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)••🌸 `` 👉 दिलेराना जवाब 👈 `` 💚 ️हजरत अमीर मुआविया (रजी अल्लाहु अन्हु) के विसाल के बाद जब यजीद तख्त पर बैठा तो उसने अपनी बैअत लेने के लिए अपनी सलतनत मे खत रवाना किये। मदीना मुनव्वरा के आमील (हाकीम) को भी लिखा की वह इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) से भी यजीद की बैअत लें। *चुनांचे : जब वह आमील हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) की खिदमत मे यजीद की बैअत लेने के लिये हाजीर हुआ तो हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने यजीद के फिस्क व फुजुर (बदकारी और हरामकारी वगैरह) की बिना पर उसको नाअहल करार दिया, शुजाअत व दिलेरी के साथ जवाब दिया की मै उस जालीम का हरगीज बैअत न करूंगा, आमील यह जवाब पाकर पलट गया और यजीद को इस जवाब का इत्तिला दी यजीद जवाब पाकर जल उठा...!! (सिर्रूस शहादतैन सफा-13, सवानहे करबला सदरूल --- अफाजील, सफा-50,) - ♥️सबक : यजीद बड़ा फासीक व फाजीर था उसके फिस्क व फुजुर ही के पेशे नजर हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने उसकी बैअत से इंकार फरमा दिया। यह भी मालुम हुआ की हजरत इमाम हुसैन शुजा इब्ने शुजा थे आपने यह जानते हुए