इबादत करने के चार तरीक़े हो सकते हैं. मसलन

इबादत करने के चार तरीक़े हो सकते हैं. मसलन



हाथ बाँध कर खड़े हो जाना
दो ज़ानू बैठ जाना
रूकू करना (कमर और सर झुका देना )
सजदा करना (माथा टेकना)

हिन्दू मज़हब में अपने खुदा के सामने हाथ बाँध कर खड़े होने का रिवाज है.

सिख माथा टेकते हैं.

ईसाई दो ज़ानू बैठते हैं

यहूदियों की इबादत में रुकू शामिल है. 

इनके अलावा पांचवां कोई और तरीक़ा इबादत का नहीं हो सकता. इस्लामी इबादत सलात (नमाज़) में ये चारों चीज़ें शामिल हैं. यानी एक मुकम्मल इबादत जिसमें बंदगी के तमाम आदाब शामिल हैं और बंदा ख़ुद को पूरी तरह से अपने पालनहार के सुपुर्द कर देता है.

एक चीज और है वो ये कि इस्लाम में इबादत  दिन में पांच बार फ़र्ज़ है. इस से अपने रब की बड़ाई, उसकी याद और उसकी अज़्मत दिलों में ताज़ा रहती है. जिस से तबीयत में एक क़िस्म की रूहानियत रहती है और जो दिलों को फरहत अता करती है.

बाक़ी जो इसके और फ़ायदे हैं वो सलात अदा करने वालों पर वाज़ेह हैं.

واقیمو الصلوٰۃ

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