गुस्ल का तरीक़ा #03
गुस्ल का तरीक़ा #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
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*गुस्ल के फराइज़* #02
*नाक में पानी चढ़ाना*
जल्दी जल्दी नाक की नोक पर पानी लगा लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि जहा तक नर्म जगह है यानि सख्त हड्डी के शुरू तक धुलना लाज़िम है।
और ये यु हो सकेगा की पानी को सूंघ कर ऊपर खिंचीये।
ख़याल रखिये की बाल बराबर भी जगह धुलने से न रह जाए वरना गुस्ल न होगा। नाक के अंदर अगर रीठ सुख गई है तो उसका छुड़ाना फ़र्ज़ है, नीज़ नाक के बालो का धोना भी फ़र्ज़ है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316*
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स. 439-440*
*तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना*
सर के बालो से ले कर पाउ के तल्वो तक जिस्म के हर पुर्ज़े और हर हर रोंगटे पर पानी बह जाना ज़रूरी है,
जिस्म की बाज़ जगहे ऐसी है की अगर एहतियात न की तो वो सुखी रह जाएगी और गुस्ल न होगा।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स 317*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85-86*
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