गुस्ल का तरीक़ा #07

*गुस्ल का तरीक़ा* #07

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
गुस्ल का तरीक़ा

*निफ़ास की ज़रूरी वज़ाहत*

     अक्सर औरतो में ये मशहूर है की बच्चा जनने के बाद औरत 40 दिन तक लाज़िमी तौर पर नापाक रहती है ये बात बिलकुल गलत है। निफ़ास की तफ़सील मुलाहज़ा हो।

     बच्चा पैदा होने के बाद जो खून आता है उस को निफ़ास कहते है इसकी ज़्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 दिन है, यानि अगर 40 दिन के बाद भी बंद न हो तो मरज़ है।

 लिहाज़ा 40 दिन पुरे होते ही गुस्ल कर ले और 40 दिन से पहले बंद हो जाए ख़्वाह बच्चे की विलादत के बाद एक मिनिट ही में बन्द हो जाए तो जिस वक़्त भी बन्द हो गुस्ल कर ले और नमाज़ व रोज़ा शुरू हो गए। 

     अगर 40 दिन के अंदर अंदर दोबारा खून आ गया तो शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के शुमार होंगे। 

     मस्लन विलादत के बाद 2 मिनिट तक खून आ कर बंद हो गया और औरत गुस्ल करके नमाज़ रोज़ा वग़ैरा करती रही, 40 दिन पुरे होने में फ़क़त 2 मिनिट बाकी थे की फिर खून आ गया तो सारा चिल्ला यानी मुकम्मल 40 दिन निफ़ास के ठहरेंगे। 

     जो भी नमाज़ पढ़ी या रोज़े रखे सब बेकार गए, यहाँ तक की अगर इस दौरान फ़र्ज़ व वाजिब नमाज़े या रोज़े क़ज़ा किये थे तो वो भी फिर से अदा करे।

*✍🏼माखुज़ अज़ फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.4 स. 356,356*
*✍🏼फैज़ाने सुन्नत, सफा 89*
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