गुस्ल का तरीक़ा #02
*गुस्ल का तरीक़ा* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*गुस्ल के फराइज़* #01
*गुस्ल के 3 फराइज़*
1. कुल्ली करना।
2. नाक में पानी चढ़ाना।
3. तमाम ज़ाहिर बदन पर पानी बहाना।
*✍🏽फतावा आलमगिरी, जी.1, स.13*
*कुल्ली करना*
मुह में थोडा सा पानी ले कर पच करके डाल देने का नाम कुल्ली नहीं, बल्कि मुह के हर पुर्ज़े, गोशे, होटो से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए। इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालो की तह में, दातो की खिड़कियों और जडो और ज़बान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे।
रोज़ा न हो तो गरगरा भी कर लीजिये की सुन्नत है।
दातो में छलिया के दाने या बोटी के रेशे वग़ैरा हो तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है। हा अगर छुड़ाने में ज़रर (यानि नुक्सान) का अंदेशा हो तो मुआफ़ है,
गुस्ल से क़ब्ल दातो में रेशे वग़ैरा महसूस न हुए और रह गए, नमाज़ भी पढ़ ली बाद को मालुम होने पर छुड़ा कर पानी बहाना फ़र्ज़ है, पहले जो नमाज़ पढ़ी थी वो हो गई।
जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाले के निचे पानी न पहोचता हो तो मुआफ़ है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316*
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स.439-440*
जिस तरह की एक कुल्ली गुस्ल के लिये फ़र्ज़ है इसी तरह की 3 कुल्लिया वुज़ू के लिये सुन्नत है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
@arzooemadina.blog |
*गुस्ल के फराइज़* #01
*गुस्ल के 3 फराइज़*
1. कुल्ली करना।
2. नाक में पानी चढ़ाना।
3. तमाम ज़ाहिर बदन पर पानी बहाना।
*✍🏽फतावा आलमगिरी, जी.1, स.13*
*कुल्ली करना*
मुह में थोडा सा पानी ले कर पच करके डाल देने का नाम कुल्ली नहीं, बल्कि मुह के हर पुर्ज़े, गोशे, होटो से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए। इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालो की तह में, दातो की खिड़कियों और जडो और ज़बान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे।
रोज़ा न हो तो गरगरा भी कर लीजिये की सुन्नत है।
दातो में छलिया के दाने या बोटी के रेशे वग़ैरा हो तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है। हा अगर छुड़ाने में ज़रर (यानि नुक्सान) का अंदेशा हो तो मुआफ़ है,
गुस्ल से क़ब्ल दातो में रेशे वग़ैरा महसूस न हुए और रह गए, नमाज़ भी पढ़ ली बाद को मालुम होने पर छुड़ा कर पानी बहाना फ़र्ज़ है, पहले जो नमाज़ पढ़ी थी वो हो गई।
जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाले के निचे पानी न पहोचता हो तो मुआफ़ है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316*
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स.439-440*
जिस तरह की एक कुल्ली गुस्ल के लिये फ़र्ज़ है इसी तरह की 3 कुल्लिया वुज़ू के लिये सुन्नत है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85*
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