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Showing posts from February, 2019

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SEERAT E NAWASA E RASOOL SAYYADUNA IMAAM E HASAN E MUJTABAرضي الله تعالي عنه

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SEERAT E NAWASA E RASOOL SAYYADUNA IMAAM E HASAN E MUJTABAرضي الله تعالي عنه...! Part:02/03: PART:02: INKA NAAM HASAN RAKHIYE: Huzoor Sayyad E Aalam ﷺ Ne Aapka naam Hasan Rakha 7we Roz Apka Aqeeqa Kiya Aur Hukm Diya ke Baalon Ke Wazan ke Barabar Chandi Sadqa Di Jaaye... Huzur ﷺ Se Kisi ko Surat me Wo  Mushabihat Haasil Na Thi Jo Sayyadna Imam Hasan Ko Haasil thi Aapse Pehle Kisi Ka Naam "HASAN" Na Rakha Gaya Tha Ye Jannati Naam Pehle Aap Hi ko Ataa Hua... Aap 6 Saal 4 Mahine Apne Nana Jaan Huzoor ﷺ Ke Saaya E Aatefat Me Rahe Aap  7 Saal Apni Waalida Maajida Sayyada Fatima Zehra رضي الله تعالي عنه  ki Aaghosh E  Tarbiyat Me Rahe... Aap Taqriban 37 Saal Apne Waalid Maajid Sayyadna Ali E Murtuza رضي الله تعالي عنه Ke Fuyooz O Barkaat Se Mustafeez Rahe, Zaahir Hai Ke Aisi Paakiza Hastiyon ki Aaghosh Me Parwarish Paane Waale Imam E Jaleel Me Yaqeenan Taaseer Hogi Jo In Azeem Hastiyon Me Hai... To Be Continued In Next Part.... ______________

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SEERAT E NAWASA E RASOOL SAYYADNA IMAAM E HASAN E MUJTABAرضي الله تعالي عنه

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SEERAT E NAWASA E RASOOL SAYYADNA IMAAM E HASAN E MUJTABAرضي الله تعالي عنه...!Part:01: Aap 5we Khaleefa hain, Ahle Bait E Athar Ke 12 Imaamo Me se Dusre Imaam Hai.... Aapka Naam: Imaam E Hasan رضي الله تعالي عنه. Aapke Walid E Majid: Ameer Ul Momineen Saiyedna Ali E Murtuzaرضي الله تعالي عنه Aapki Walida Majida: Sehzadi E Rasool Sayyada Fatima Zahraرضي الله تعالي عنه. Aapki Kunniyat: Abu Muhammad . Aapka Laqab: Taqi Wa Sayyad, Tayyab, Zaki, Wali, Kareem, Haleem, Zaahid. Aapka Urf: Sibte RasoolAllah ﷺ, Sibte Akbar. Aapko Rehanat Ur Rasool Khulfa Binnas Bhi Kehte Hain, Yani Khilafat Aap Par Khatm Ho Gayi.. JAB HUZOOR KO AAPKI WILADAT E PAAK KI KHABAR MILI Jab Sayadna Imaan E Hasanرضي الله تعالي عنه  Ki Wiladat Ki Khabar Huzoorﷺ Ko Hui To Shada-Wa-Farda Hazrat Sayyada Fatima Zehra رضي الله تعالي عنه Ke Ghar Tashrif Laye Aur Farmaya Mere Bachche ko Muje Dikhao... Hazrat Asma Binte Amees رضي الله تعالي عنه Ne Aap ko Ek Zard Kapde Me Lapet kar Huz

बे वुज़ू नमाज़ पढ़ने पर अज़ाब

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बे वुज़ू नमाज़ पढ़ने पर अज़ाब بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ      हज़रत जलालुद्दीन सुयूती رحمة الله عليه फ़रमाते है कि एक आदमी जिसे लोग मुत्तक़ी (परहेज़गार) की हैसिय्यत से पहचानते थे,  जब उसका इन्तिक़ाल हो गया और लोगों ने उसे दफ़्न कर दिया तो फरिश्तों ने उससे कहा कि हम तुझे अज़ाब के सौ कोड़े मारेंगे। उसने कहा: क्यों मारोगे? में तो मुत्तक़ी था। फरिश्तों ने कहा: अच्छा चल!  पचास कोड़े ही मारेंगे। फिर वो आदमी बराबर बहस करता रहा कि मुझे क्यों मोरोगे?  यहाँ तक कि फ़रिश्ते एक कोड़े पर आ गए और उन्होंने एक कोड़ा मार ही दिया जिससे पूरी क़ब्र आग से भर गई और वो जलकर खाकिस्तर हो गई फिर उसे ज़िन्दा किया गया तो उसने पूछा: अब ये बताओ कि तुमने मुझे ये कोड़ा क्यों मारा? फरिश्तों ने जवाब दिया: तूने एक रोज़ बे-वुज़ू नमाज़ पढ़ ली थी, ये उसी की सजा है।      वाज़ेह (मालुम) रहे कि जान बूझकर बे-वुज़ू नमाज़ पढ़ना बाज़ फ़ुक़हा के नज़्दीक कुफ़्र है यानी आदमी बे-वुज़ू नमाज़ पढ़ने से काफ़िर हो जाता है। ✍🏼नमाज़ की अहमियत 33

हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल

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हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल_  08 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ 13) मुलाज़िम को चाहिये दौराने ड्यूटी चाको चौबन्द रहे , सुस्ती पैदा करने वाले अस्बाब से बचे मसलन रात देर से सोने के सबब ।  बल्कि नफ्ली रोजा रखने के बाइस अगर काम में कोताही हो जाती है तो इन अफ्आल से बाज़ रहे कि कस्दन काम में सुस्ती करने वाला अगचे कटोती करवा दे मगर अब भी एक तरह से गुनहगार है,  क्यूं कि इस ने काम करने का मुआहदा किया हुवा है और इस मुआहदे की रू से कम अज़ कम मो'तदिल या 'नी दरमियाना अन्दाज़ में इस को काम करना ज़रूरी है। अभी “फ़तावा र-जविय्या" जिल्द 19 सफ़हा 407 के हवाले से गुज़रा कि “अगर मजदूरी में सुस्ती के साथ काम करता है गुनहगार है।"       जाहिर है मुलाज़िम की बे जा सुस्तियों और छुट्टियों से सेठ के काम का नुक्सान होता है बहर हाल कोई पूछने वाला हो या न हो। सुस्ती के बाइस काम में जितनी कमी हुई अल्लाह से डरते हैं हुए तन - ख्वाह में उतनी कटोती करवाए , तौबा भी करे और मुस्ताजिर ( या ' नी जिस से इजारा किया है ) उस से मुआफ़ी भी मांगे। हां निजी ( Privat

हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल

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हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल 07 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ 10) जिन इदारों में बीमारियों की छुट्टियां दी जाती हैं वहां बीमार न होने के बा वुजूद झूट बोल कर या डॉक्टर की जाली (नक्ली) चिट्ठी। दिखा कर छुट्टी करना गुनाह है। जान बूझ कर झूटी चिट्ठी लिख कर देने वाला डॉक्टर भी गुनहगार और अज़ाबे नार का हकदार है। 11) जिन इदारों में मुलाजिमीन को इलाज की मुफ्त सहूलतें फराहम की जाती हैं, इन में झूटे बहानों से दवा हासिल करना, अपना नाम लिखवा या बता कर किसी दूसरे के लिये दवा निकलवा लेना वगैरा हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है। ऐसों के साथ जान बूझ कर तआवुन करने वाला भी गुनहगार है।  12) तनख्वाह ज़ियादा कराने और ओहदे वगैरा में तरक्की करवाने के लिये जाली (नक्ली) सनद लेना ना जाइज़ व गुनाह है , क्यूं कि येह झूट और धोके पर मब्नी है। बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله ✍🏼हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल पेज 8

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