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Showing posts from June, 2019

MUSHKIL SAWALAAT

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🌹•» *MUSHKIL SAWALAAT* «•🌹   *********** 🌷 *HIQAYAT* 🌷        ****** 🌺Tauraat Ke Ek Aalim Ne Jiska Naam Mujer Tha! Ek Martaba Hazrat Ali Se Pucha Ki Mere kuch Sawalon Ke Jawab Dijiye! 🌺Hazrat Ali Ne Farmaya, Pucho, Kya Puchte Ho? Usne Pucha- Batayiye, (1)💚Wo Kaunsa Mard Hain Jiska Na Baap Hain Na Maa? (2)💚Wo Kaunsi Aurat Hain Jiska Na Baap Hain Na Maa? (3)💚Wo Kaunsa Mard Hain Jiski Maa To Hain Lekin Baap Nahi? (4)💚Wo Kaunsa Patther Hain Jisne Jaanwar Paida Kiya? (5)💚Wo Kaunsi Aurat Hain Jisne Ek Hi Din May 3 Ghadiyon May Baccha Jan Diya? (6)💚Wo Kaunse Dost Hain Jo Aapas May Kabhi Dushman Na Banege? (7)💚Wo Kaunse Dushman Hain Jo Aapas May Kabhi Dost Na Banege? 🌺Hazrat Ali Radi-Allahu-Anhu Ne Farmaya, Lo Ab Sunlo! (1)♥️Wo Mard Jiska Na Baap Hain Na Maa Hazrat Aadam Alaihi Salam Hain! (2)♥️Wo Aurat Jiska Na Baap Hain Na Maa Hawwa Radi-Allahu-Ta'aala-Anha Hain! (3)♥️Wo Mard Jiski Maa Hain Lekin Baap Nahi Hazrat

​​تیری آنکھیں تيری زلفیں تیرا شانہ دیکھوں،

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​​تیری آنکھیں تيری زلفیں تیرا شانہ دیکھوں، بارہا خواب میں منظر یہ سہانہ دیکھوں، لوگ سارے تو تیرے شہر کے دیوانے ہیں، میری خواہش ہے کہ میں تیرا زمانہ دیکھوں، ریت پہنی ہوئی مکّہ کی گزرگاہوں پر، نیچی نظروں سے تیرا غار میں جانا دیکھوں، تیرے کمبل سے تیرے جسم کی خوشبو سونگھوں، تجھ پہ اترا تھا جو حکمت کا خزانہ دیکھوں، تیرے فاقوں  نے کئی دن کی کڑی بھوک کے بعد، فاطمہ  کو جو کھلایا تھا وہ کھانا دیکھوں، حکم اللہ سے اس رات کی خاموشی میں، سوئے یثرب تجھے ہوئے میں روانہ دیکھوں، پائے صدیق  کو جس سانپ نے بار بار ڈسا،  میں اسی سانپ کا گمنام ٹھکانہ دیکھوں، دف بجاتے ہوئے ہاتھوں کی خوشی کو سمجھوں، تیری آمد پہ وہ دربار سجانا دیکھوں، جنگ خندق میں جو باندھے تھے وہ پتھر چوموں، اور مصیبت میں تیرا ساتھ نبھانا دیکھوں، ڈر کے دشمن تیرے خوف سے تھرّائیں مگر، معاف کرنے کا وہ انداز پرانا ديکھوں، چشم اطہر کو خدایا وہ بصارت دے، قبلہ رو ہو کے محمدﷺ  کو روزانہ دیکھوں۔ . . اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى

अपने ज़िन्दगी की मकसद एक बनाओ..

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छोड़_दो_रंगी_एक_रंग_हो_जा एक रोज़ जलालुद्दीन रूमी अपने शागिर्दों को साथ लेकर एक खेत में पहुंचे- ये उनके पढ़ाने और इल्म सिखाने का अंदाज़ था- वो ज़िंदा नजीरों के ज़रिए अपने शागिर्दों को बड़ी से बड़ी बात आसानी से समझा दिया करते थे, इसलिए आज वो अपने शागिर्दों को लेकर एक खेत में आए थे- उनके शागिर्द सोच रहे थे कि आखिर ऐसा कौन सा सबक़ है जो हम मदरसे में हासिल नहीं कर सकते थे और जिसे हासिल करने के लिए हम इतनी दूर इस खेत में आए हैं- लेकिन खेत में पहुंच कर जो सबक़ उन्होंने हासिल किया उसने तमाम शागिर्दों को ये समझा दिया कि वो गलत थे और उनके उस्ताद दुरुस्त-           उस खेत में एक किसान बिल्कुल किसी पागल आदमी की तरह ज़मीन खोदने में मसरूफ था- दरअस्ल वो अपने खेत के लिए एक कुंआ खोदना चाहता था मगर जब थोड़ी गहराई तक ज़मीन खोद कर पानी ना निकलता तो वो उस जगह को छोड़ कर दूसरी जगह ज़मीन खोदने में लग जाता और इस तरह उस किसान ने आठ जगहों से ज़मीन खोद डाली थी मगर हासिल उसे कुछ भी ना हुआ था- मौलाना जलालुद्दीन रूमी ने अपने शागिर्दों से पूछा:             क्या तुम कुछ समझ सकते हो? थोड़े

मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज

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मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज  #03 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ      पहली बीमारी का इलाज सिर्फ येह है कि मुसलमान एक बात खुब याद रखें वोह येह कि कपड़ा नया पहनो, मकान नया बनाओ, गिजाएं नई नई खाओ हर दुन्यावी काम नए नए करो मगर दीन वोही तेरह सो बरस वाला पुराना इख्तियार करो हमारा नबी पुराना, दीन पुराना, कुरआन पुराना, काबा पुराना, खुदा तआला पुराना (कदीम) हम इस पुरानी लकीर के फकीर हैं  येह कलिमात वोह हैं जो अकषर हज़रते किब्लए आलम पीर सय्यद जमाअत अली शाह साहिब मरहूम व मग्फूर पीरे तरीकत अली पूरी फ़रमाया करते थे  और इस का परहेज येह है कि हर बद मज़हब की सोहबत से बचो, उस मौलवी के पास बैठो जिस के पास बैठने से हुजूर ﷺ का इश्क और इत्तिबाए शरीअत का जज्बा पैदा हो। *✍️इस्लामी ज़िन्दगी* 14 ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•● मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,  गर होजाए यक़ीन के..... *अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...* ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज

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मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज  #02 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ  आज हमारा ये हाल है मुसलमानों की बादशाहत गई, इज्जत गई, दौलत गई, वकार गया, सिर्फ एक वजह से वोह येह कि हम ने शरीअते मुस्तफा की पैरवी छोड़ दी हमारी ज़िन्दगी इस्लामी न रही। हमें खुदा का खौफ, नबी की शर्म, आखिरत का डर न रहा येह तमाम नुहूसतें सिर्फ इसी लिये हैं, आला हज़रत फरमाते हैं :       *दिन लहव में खोना तुझे शब नींद भर सोना तुझे*       *शर्मे नबी, खौफे खुदा, येह भी नहीं वोह भी नहीं*      मस्जिदें हमारे वीरान, मुसलमानों से सीनेमा व तमाशे आबाद। हर किस्म के उयूब मुसलमानों में मौजूद। हिन्दवानी रस्में हम में काइम हैं हम किस तरह इज्ज़त पा सकते हैं।       मुसलमानों की अस्ल बीमारी तो शरीअते मुस्तफा को छोड़ना है अब इस की वजह से और बहुत सी बीमारियां पैदा हो गई। मुसलमानों की सद हा बीमारियां तीन किस्म में  मुन्हसिर हैं।  अव्वल रोजाना नए नए मजहबों की पैदावार और हर आवाज़ पर मुसलमानों की आंखें बन्द कर के चल पड

मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज

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मुसलमानों की बीमारियां और इन का इलाज #01 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ      आज कौन सा दर्द रखने वाला दिल है जो मुसलमानों की मौजूदा पस्ती और इन की मौजूदा ज़िल्लतो ख्वारी और नादारी पर न दुखता हो और कौन सी आंख है जो इन की  गुर्बत, मुफ्लिस, बे रोजगारी पर आंसू न बहाती हो, हुकूमत इन से छिनी, दौलत से येह  महरूम हुए, इज्ज़त व वकार इन का खत्म हो चुका जमाने की हर मुसीबत का शिकार मुसलमान बन रहे हैं इन हालात को देख कर कलेजा मुंह को आता है मगर दोस्तो! फक्त रोने  और  दिल दुखाने से काम नहीं चलता बल्कि ज़रूरी है कि इस के इलाज पर खुद मुसलमान कौम गौर करे, इलाज के लिये चन्द चीजें सोचना चाहियें।      अव्वल येह कि अस्ल बीमारी क्या है, दूसरे येह कि इस की वजह क्या ? क्यूं मरज पैदा हुवा ? तीसरे येह कि इस का इलाज क्या है ? चौथे येह कि इस इलाज में परहेज क्या है ?       अगर इन चार बातों को गौर कर के मालूम कर लिया गया तो समझो कि इलाज आसान है।  बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله *✍️इस्लामी ज़िं