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Showing posts from January, 2019

हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल

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लुक्मए हलाल की फजीलत   بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ      हमें हमेशा हलाल रोज़ी कमाना, खाना और खिलाना चाहिये। लुक्मए हलाल की तो क्या ही बात है चुनान्चे दावते इस्लामी के इशाअती इदारे मक-त-बतुल मदीना की मत्बूआ 1548 सफ़हात पर मुश्तमिल किताब, फैजाने सुन्नत जिल्द अव्वल सफहा 179 पर है:  हज़रते सय्यदुना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली رحمتُ اﷲِ تعَالٰی علَيه एहृयाउल उलूम की दूसरी जिल्द में एक बुजुर्ग رحمتُ اﷲِ تعَالٰی علَيه का कौल नक्ल  करते हैं कि मुसल्मान जब हलाल खाने का पहला लुक्मा खाता ई है, उस के पहले के गुनाह मुआफ कर दिये जाते हैं। और जो शख्स तलबे हलाल के लिये रुस्वाई के मकाम पर जाता है उस के गुनाह दरख्त के पत्तों की तरह झड़ते हैं। बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله ✍🏼हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल  पेज 3 ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी फूल

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हलाल रोजी के बारे में 5 फ़रामीने मुस्तफा ﷺ   بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ 1) सब से ज़ियादा पाकीज़ा खाना वोह है जो अपनी कमाई से खाओ 2) बेशक अल्लाह तआला मुसल्मान पेशावर को दोस्त रखता है। 3) जिसे मज़दूरी से थक कर शाम आए उस की वोह शाम , शामे मग्फिरत हो। 4) पाक कमाई वाले के लिये जन्नत है। 5) कुछ गुनाह ऐसे हैं जिन का कफ्फारा न नमाज़ हो न रोज़े न हज न उम्रह। उन का कफ्फारा वोह परेशानियां होती हैं जो आदमी को तलाशे मआशे हलाल में पहुंचती हैं। बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله ✍🏼हलाल तरीके से कमाने के 50 मदनी 3

Islamic Quotes Life Changing Thought

-:: अनमोल मोती-5 ::- `` (1)-अपनी ज़ुबान की हिफाज़त करने वाला कभी रुसवा नहीं होता. `` (2)-इल्म और तालीम से बेहतर व् किमती चीज़ कोई नहीं है. `` (3)-मोहब्बत को मज़बूत बनाना चाहते हो तो आपस मे मिलते रहो. और अगर बहुत ही मज़बूत बनाना चाहते हो तो बार-बार नहीं बल्कि कभी-कभी मिला करो. `` (4)-मुसीबतो का मुकाबला सब्र से करो और नेअमतों की हिफाज़त शुक्र से  करो. `` (5)-नसीहत की बात चाहे कड़वी हो क़ुबूल कर लिया करो. `` (6)-दोस्त का तोहफा चाहे मामूली हो क़ुबूल कर लिया करो. `` (7)-गरीब की दावत चाहे तकलीफ देनेवाली हो, फिर भी क़ुबूल कर लिया करो. `` (8)-तन्हाइ मे भी अल्लाह तआला की मुखालिफत (विरोध) करने डरो, क्यों  की जो गवाह है वही हाकिम है. `` (9)-आग और पानी दोनों हमारी ज़िंदगी के लिए ज़रूरी और बहुत ही अहम है.  मगर यही दो चीज़े जब खौफनाक बन जाती है तो बेहद नुकशान पहुचती है. `` (10)-अगर तुम चाहते हो के तुम्हारी रोज़ी और उम्र मे बरकत हो तो तुम्हारे लिए ज़रूरी है के तुम अपने रिस्तेदारो से अच्छा बर्ताव करो. `` (11)-बगैर ज़रूरत के भीख मांगना नाजायज़ और हराम है. `` (13)- इंस

अनमोल मोती

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-:: अनमोल मोती-4 ::- `` (1)- कामयाबी हासिल करने के लिए कोशिश करनी चाहिए, और कोशिश करते वक्त मकसद और मंज़िल नज़र मे होनी चाहिए. `` (2)- मन्जिल तक पहुँचने के लिए उम्मीद जरुरी है. और उम्मीद तब पूरी होती है जब नियत नेक हो. नेक नियत वाला कामयाब होता है. `` (3)-माँ की मेहरबानियाँ असमान के सितारों जितनी है. `` (4)-माँ-बाप की इताअत-(फ़रमाँबरदारी) से अल्लाह तआला राज़ी होता है. `` (5)-मेहनत करते रहो. मेहनत की बेशुमार बरकते है. मेहनत करने वाले का जिस्म तंदुरस्त, दिमाग साफ, दिल फ़ैयाज़ और जेब भरी रहती है. और लोग मेहनत करनेवाले की कदर करते है. अल्लाह तआला की नज़र मे महेनत भी इबादत है. `` (6)-आपस-आपस में इस तरह मिलो के दुबारा मिलने की तमन्ना पैदा हो. `` (7)-अकल्मन्द की सच्ची पहचान गुस्से की हालत मे होती है. `` (8)- इंसान जितनी मेहनत बुराई छुपाने मे करता है उतनी मेहनत करे तो बुराई से बच सकता है. `` (9)-एहसान इन्सान को एक दिन गुलाम बना देता है. `` (11)-गुनाह छोटा हो चाहे बड़ा किसी न किसी तरह गुनेहगार को बेचैन करता रहता है. `` (11)- यादें आसमान पर चमकने वाले

फैज़ाने फ़ारुके आज़म

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फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-04) - #फारुके_आज़म_के_मुबारक_अंदाज़ #01 ☆फारुके आज़म के चलने का मुबारक अंदाज़... `` ✿हज़रते सीमाक बिन हर्बرضي الله تعالي عنه से रिवायत है : अमीरुल मुअमिनिन फारुके आज़मرضي الله تعالي عنه कुशादा क़दमो के साथ चला करते थे और चलते हुवे ऐसा लगता गोया आप किसी सुवारी पर सुवार है और दीगर लोग पैदल चल रहे है। `` ☆आप के खाने का अंदाज़... `` ✿आपرضي الله تعالي عنه निहायत ही मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, क़तई जन्नती होने के बा वुजूद हमेशा फ़िक्रे आख़िरत दामन गिर रहती थी और ये फ़िक्र आप को भूका रहने पर उकसाती रहती थी। आपرضي الله تعالي عنه की खोराक निहायत ही कलिल थी, कभी जव की रोटी के साथ ज़ैतून, कभी दूध, कभी सिरका, कभी सुखाय हुवा गोश्त तनावुल फरमाते, ताज़ा गोश्त बहुत ही कम इस्तिमाल करते थे, कभी दो खाने इकठ्ठे नही खाए। मनसबे खिलाफत पर मुतमक्कीन होने के बाद तो आपرضي الله تعالي عنه ऐसी खुश्क रोटी खाया करते थे की आम लोग उसे खाने से आजिज़ आ जाए। निज खाना कहते हुवे रोटी के किनारो को अलाहिदा करके खाना आप को सख्त ना पसंद था। ------------- ☆आप के गुफ्तगू करने का मुबारक अं

अनमोल मोती-3

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:: अनमोल मोती-3::- (1)-दुनिया की मिशाल समंदर जैसी है, उससे जितना पानी पिओगे प्यास उतनी ही ज़्यादा लगेगी. मगर प्यास मिटेगी नही.। `` (2)-जो तुम्हे तकलीफ-(दुःख) दे उसे छोड़ दो. मगर जिसे छोड़ दो उसे दुःख न दो, वार्ना तुम मे और उसमे क्या फर्क रहेगा? `` (3)-अपना राज़ अपने अलावा किसी पर ज़ाहिर न करो, क्योंकी हर राज़दार का एक राज़दार होता है. `` (4)- दौलत चूराई जा सकती है , मगर इल्म चुराया नहीं जा सकता। दौलत समय के साथ कम हो जाती है, मगर इल्म कभी कम नहीं होता `` (5)- ज़िंदगी की उलझने शररतो को काम कर देती है, मगर लोग समझते है के हम समझदार हो गये. `` (6)-जो तुम्हारी कद्र नहीं करता तुम उसकी और भी ज़्यादा कदर करो, क्योंकी ज़िन्दगी के किसी मोड़पर उसे तुम्हारी कद्र का एहसास ज़रूर होगा.। `` (7)- अल्लाह तआला को ज़ुबां और दिल का सख्त होना पसंद नहीं है. इसलिए इन दोनों को बगैर हड्डी के बनाया है. (8)-अगर तुम अपनी मुस्कुराहट के लिए अल्लाह तआला  का शुकरिया अदा नहीं कर शकते तो हमें कोई हक़ नहीं पहुँचता के हम अपने आँसु का कसूरवार अपने रब को ठहराये.। `` (9)- जिसके ज़ुबान दुरस्त हो जा

अनमोल मोती – 2

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❁ -:अनमोल मोती – 2 `` (1)-सबसे ज्यादा कमज़ोर आदमी ओ है जो दोस्त को हासिल करने मे नाकाम हो, और उससे भी ज़्यादा कमज़ोर ओ शख्स है जो हाथ आये दोस्त को गवा दे। `` (2)-नेक काम और सदका गरीबी को दूर करता है और 70 किस्म की दर्दनाक मौत से महफ़ूज़ रखता है और उम्र मे इज़ाफ़ा करता है। `` (3)-जिसको खुद अपना ख्याल नहीं वह किसी और का ख्याल कैसे रख सकता है। `` (4)-अगर ज़िन्दगी खुशयों के साथ गुज़ारना चाहते हो तो ग़मज़दा लोगो के गम सुना करो, कभी दुखी नहीं रहोगे. ``  (5)-सरकार दो आलम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया के इंसान का बे-फायदा बातों को छोड़ देना उसके अच्छे मुस्लमान होने की दलील है.। `` (6)- दुनीयां की  ज़िनत…। मां, बीवी, औलाद, और दाना दोस्त। आखिरत की ज़िनत… इल्म, तक़वा और सदक़ा. और जिस्म की ज़िनत… कम खाना, कम सोना और कम बोलना…। ``  (7)-जो औलाद सुबह उठकर अपने  माँ-बाप को प्यार से सिर्फ देख ले तो उस दिन सुबह से शाम तक उसके लिए जन्नत के दो दरवाज़े खोल दिये  जाते है.। `` (8)-हर अच्छे काम के लिए सवाब का अंदाजा है, लकिन सब्र के सवाब का कोई अंदाज़ा नहीं. `` (9)-अल्लाह तआला दोस्त और दुश्मन सबको दौलत और दुनिया

फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-03)

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``फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-03) --- ☆फ़ारुके आज़म  हुस्ने ज़ाहिरी.... -- ❀फ़ारुके आज़म की मुबारक रंगत❀ -- ♥हज़रते इब्ने कुतैबा रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है की "कूफा के लोगो ने अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का जो हुल्या बयान किया है उस के मुताबिक़ आप का रंग गहरा गन्दुमी था। जब की अहले हिजाज़ ने जो आप का हुल्या बयान किया है उसके मुताबिक़ आप की रंगत बहुत सफेद थी बल्कि ऐसी सफेद थी जेसे चुना होता है और लगता था की आप के जिसमे मुबारक में खून ही नही है। •अल्लामा वाकिदि अलैरहमा फरमाते है  की जिन्होंने आपرضي الله تعالي عنه के गन्दुमी रंग होने का क़ौल किया है उन की बात दुरुस्त नही की उन्हों ने आप को "आमुर्रमादा" यानी कहत साली वाले साल देखा था। आप ने उस साल दूध और चर्बी वगैरा खाना छोड़ दिया था सिर्फ ज़ैतून का तेल इस्तिमाल फरमाते जिस के सबब आप की रंगत गन्दुमी हो गई थी। अल्लामा इब्ने हजर असक्लानि अलैरहमा ने भी बाज़ फारुकी हज़रात से यही क़ौल नक़ल किया है। ☆फ़ारुके आज़म का क़दे मुबारक ✦हज़रते ज़र बिन हुबैश और अक्सर लोगो ने यही बयान किया है की अमीरुल मुअमिनिन

फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-02)

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`फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-02) ` ☆फ़ारुके आज़म की पैदाइश और जाए परवरिश... ` ✦फ़ारुके आज़म की पैदाइश✦ ` ♥आपرضي الله تعالي عنه आमूल फिल के 13 साल बाद पैदा हुवे, यु आप की तारीखे विलादत 583 ईस्वी तक़रीबन 41 साल क़ब्ले हिजरत है। हज़रते सिद्दीके अकबरرضي الله تعالي عنه आमूल फिल के ढाई साल बाद पैदा हुवे यु आप सिद्दीके अकबरرضي الله تعالي عنه से उम्र में तक़रीबन साढ़े दस साल छोटे है और सरकारे मदीनाﷺ चुकी आमूल फिल के साल दुन्या में तशरीफ़ लाए यु आपرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ से उम्र में तक़रीबन 13 साल छोटे है। `` ••फ़ारुके आज़म की जाए परवरिश•• ` ♥आपرضي الله تعالي عنه मक्का में ही पैदा हुवे और मक्का ही आप की जाए परवरिश है, बचपन से ले कर जवानी तक, नीज़ मदीना हिजरत से क़ब्ल तक आप ने मक्का में ही ज़िन्दगी गुज़ारी। ☆दौरे जाहिलिय्यत में फ़ारुके आज़म का घर... ``  ♥हज़रते अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन साद ने उमुरे मक्का के आलिम हज़रते अबू बक्र बिन मुहम्मद मक्कीرضي الله تعالي عنه से पूछा : ज़मानए जाहिलिय्यत में आप का घर कहा था ? फ़रमाया : फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه की रिहाइश गाह उस पहाड़ पर थी जो

फैज़ाने फ़ारुके आज़म र०अ०

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``फैज़ाने फ़ारुके आज़म``(पोस्ट-01) ` ☆फ़ारुके आज़म का नामें नामी इसमें गिरामी.. ` ♥दौरे जाहिलिय्यत के दौरे इस्लाम में आपرضي الله تعالي عنه का नाम "उमर" ही रहा। उमर के माना है "आबाद रखने वाला" या "आबाद करने वाला"। हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه के सबब चुकी इस्लाम आबाद होना था इस लिये अल्लाह ने पहले ही आप को "उमर" नाम अता फरमा दिया और इस्लाम आप के सबब आबाद हुआ लिहाज़ा आप इसमें बा मुसम्मा है। ` •इंसानी ज़िन्दगी की मुद्दत को भी उम्र कहते है यानी जिस्म की आबादी का ज़माना। फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का अहदे खिलाफत चुकी इस्लाम की आबादी का ज़माना है इस ऐतिबार से भी आपرضي الله تعالي عنه इसमें बा मुसम्मा हुवे। ✦आसमानों, इंजील, तौरेत और जन्नत में आप का नाम.... मरवी है की अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه का नाम आसमानों में "फारूक़" इंजील में "काफी" तौरात में "मन्तकुल हक़" और जन्नत में "सिराज" है। ☆बारगाहे रिसालत से अताकर्दा नाम...!! `  ♥हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها स