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Showing posts from August, 2019

इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते

सवानहे कर्बला​​ Part #06 ​بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ​ ​اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ​ इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते​   Part#02      अगर्चे इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه की शहादत की खबर मसहूर थी और कुफियो की बे वफाई का पहले भी तजिरबा हो चूका था मगर जब यज़ीद बादशाह बन गया और उस की हुकूमत व सल्तनत दिन के लिये खतरा थी और इस वजह से उस की बैअत न रवा थी और वो तरह तरह की तदबिरो और हिलो से चाहता था की लोग उस की बैअत करे।      इन हालात में कुफियो का बपासे मिल्लत यज़ीद की बैअत से दस्तकशि करना और हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه से तालिबे बैअत होना इमाम पर लाज़िम करता था इन की दरख्वास्त क़बूल फरमाए जब एक क़ौम ज़ालिम व फ़ासिक़ की बैअत पर राज़ी न हो और साहिबे इस्तिहक़ाक़ अहल से दरख्वास्ते बैअत करे इस पर अगर वो इनकी इस्तीदआ क़बूल न करे तो इस के ये माना होते है की वो इस क़ौम को इस जाबिर ही के हवाले करना चाहता है।      इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه अगर उस वक़्त कुफियो की दरख्वास्त क़बूल न फरमाते तो बारगाहे इलाहि में कुफियो के इस मुतालबे का इमाम के पास क

इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते

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सवानहे ककर्बल Part #05 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते      Part #01      यज़ीदियो कि कोशिशो से अहले शाम से जहां यज़ीद की तख्तगाह थी यज़ीद की राए मिल सकी और वहा के बाशिन्दों ने उस की बैअत की। अहले कूफा अमीरे मुआवियाرضي الله تعالي عنه के ज़माने ही में हज़रते इमाम हुसैनرضي الله تعالي عنه किं खिदमत में दरख्वास्ते भेज रहे थे, तशरीफ़ आवरी की इलतीजाए कर रहे थे लेकिन इमाम ने साफ़ इनकार कर दिया था।      अमीरे मुआवियाرضي الله تعالي عنه की वफ़ात और यज़ीद की तख्त नशीनी के बाद अहले इराक़ की जमाअतो ने मुत्तफ़िक़ हो कर इमामرضي الله تعالي عنه की खिदमत में दरख्वास्त भेजी और इन में अपनी नियाज़ मन्दी व जज़्बाते अक़ीदत व इख्लास का इज़हार किया और हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه पर अपने जानो माल फ़िदा करने की तमन्ना ज़ाहिर की।      इस तरह के इल्तिज़ानामो और दरख्वास्तो का सिलसिला बंध गया और तमाम जमाअतो और फिरको की तरफ से 150 से करीब अर्जियां हज़रते इमामे आली मक़ाम की खिदमत में पहुची, कहा तक

हज़रते इमाम हुसैन की मदीने से रिहलत

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सवानहे कर्बला Part #04 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ Arzooemadina.blog हज़रते इमाम हुसैन की मदीने से रिहलत      मदनी से हज़रते इमाम हुसैनرضي الله تعالي عنه की रिहलत का दिन अहले मदीना और खुद हज़रते इमाम के लिये कैसे रंजो अन्दोह का दिन था।  अतराफे आलम से तो मुसलमान वतन तर्क कर के अइज़्ज़ा व अहबाब को छोड़ कर मदीना तैय्यबा हाज़िर होने की तमन्नाए करे,  दकी हाज़िरी का शौक़ दुश्वार गुज़ार मन्ज़िले और बहरो बर का तवील और खौफनाक सफर इख़्तियार करने के लिये बेक़रार बना दे। एक एक लम्हे की जुदाई इन्हें शाक हो, और फरज़न्दे रसूल से रिहलत करने पर मजबूर हो।      उस वक़्त का तसव्वुर दिल को पाश पाश कर देता है जब हज़रते इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه बईरादए रुख्सत आस्तानाए कुदसिय्या पर हाज़िर हुए होंगे और दिदए खून बार अश्के गम की बारिश की होगी। दिल दर्द मन्दे गमे महजुरि से घायल होगा,  जद्दे करीम को रोज़ए ताहिरा से जुदाई का सदमा हज़रते इमाम के दिल पर रंजो गम के पहाड़ तोड़ रहा होगा, अहले मदीना की मुसीबत का भी क्या अंदा

अमीरे मुआविया की वफ़ात और यज़ीद की सल्तनत

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सवानहे कर्बला  Part #03 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ Arzooemadina.blog अमीरे मुआविया की वफ़ात और यज़ीद की सल्तनत      अमीरे मुआवियाرضي الله تعالي عنه ने रजब सी 60 ही में दमिश्क़ में लक़्वा में मुब्तला हो कर वफ़ात पाई। आप के पास हुज़ूरﷺ के तबर्रुकात में से इजार शरीफ,  रिक़मिस मुबारक, मुए शरीफ और तराशहाए नाख़ून हुमायूँ थे। आप ने वसिय्यत की थी की मुझे हुज़ूरﷺ की इजार व रिदाए मुबारक व क़मीज़ में दफ़्न दिया जाए और मेरे इन आज़ा पर जिन से सज्दा किया जाता है हुज़ूरﷺ के मुए मुबारक और तराशहाए नाखून रख दिये जाए।      अमीरे मुआवियाرضي الله تعالي عنه की वफ़ात के बाद यज़ीद तख्ते सल्तनत पर बैठा और उस ने अपनी बैअत लेने के लिये अतराफ़ व मुमालिक सल्तनत में मकतूब रवाना किये, मदीने का आमिल जब यज़ीद की बैअत लेने के लिये हज़रते  हुसैनرضي الله تعالي عنه की खिदमत में हाज़िर हुवा तो आप ने उस के फिस्को ज़ुल्म की बिना पर उस को ना अहल क़रार दिया और बैअत से इनकार फ़रमाया, इसी तरह हज़रते ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه ने भी इनकार किया।

अपने भाईयों की पर्दा पोशी करो

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अपने_भाईयों_की_पर्दा_पोशी_करो मुहम्मद मुस्तफा ﷺ ने अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली رضی اللہ تعالیٰ عنہ से पूछा:             "अय अली ! अगर तुम किसी मर्द को गुनाह करते देखोगे तो क्या करोगे ?" अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली رضی اللہ تعالیٰ عنہ ने जवाब देते हुए अर्ज़ किया:          "उसके गुनाह को छुपाऊंगा-" रसूलुल्लाह ﷺ ने फिर फ़रमाया:            "अगर दुबारा उसी शख्स को गुनाह का इर्तिकाब करते देखो तो क्या करोगे?" इमाम अली फिर अर्ज़ करते हैं:              "उसके गुनाह पर पर्दा डालूंगा-" रसूलुल्लाह ﷺ ने तीन मर्तबा यही सवाल किया,मौला अली رضی اللہ تعالیٰ عنہ ने तीनों मर्तबा यही जवाब दिया- रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:                                  *لافتی الا على* जवां मर्द फक़त अली हैं- फिर आप ﷺ ने अपने अस्हाब की तरफ रुख किया और फ़रमाया:       अपने_भाईयों_की_पर्दा_पोशी_करो   مستدرك الوسائل ج12 ص426....

हिकायते_मौलाना_रूम_رحمتہ_اللہ_علیہ

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हिकायते_मौलाना_रूम_رحمتہ_اللہ_علیہ Arzooemadina.blogspot.com आदमी ने तोता रखा हुआ था,उस आदमी ने कहा कि:            "मैं दूर के सफर पर जा रहा हूं, वहां से कोई चीज़ मंगवानी हो तो बता-" तोते ने कहा कि:            "वहां तो तोतों का जंगल है, वहां हमारे गुरु रहते हैं- हमारे साथी रहते हैं, वहां जाना और गुरु तोते को मेरा सलाम कहना और कहना कि एक गुलाम तोता,पिंजरे में रहने वाला,गुलामी में पाबंद,पाबंदे क़फस..आपके आज़ाद तोतों को सलाम करता है-" सौदागर वहां पहुंचा और उसने जाकर ये पैगाम दिया- अचानक जंगल में फड़फड़ की आवाज़ आई,एक तोता गिरा,दूसरा गिरा और फिर सारा जंगल ही मर गया- सौदागर बड़ा हैरान कि ये पैगाम क्या था,क़यामत ही थी-उदास हो के चला आया- वापसी पर तोते ने पूछा कि:          "क्या मेरा सलाम दिया था ?" उसने कहा कि:         "बड़ी उदास बात है,सलाम तो मैंने पहुंचा दिया मगर तेरा गुरु मर गया और सारे चेले भी मर गए-" इतना सुनना था कि वो तोता भी मर गया- सौदागर को बड़ा अफसोस हुआ- उसने मुर्दा तोते को उठा कर बाहर फेक दिया- तोता फौरन उड़ गया और शा

यज़ीद का मुख़्तसर तज़किरा

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सवानहे कर्बला​ (Part 02) بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ Arzooemadina.blogspot.com  यज़ीद का मुख़्तसर तज़किरा      यज़ीद बिन मुआविया अबू खालिद उमवी वो बद नसीब शख्स है जिस की पेशानी पर अहले बैत के बे गुनाह क़त्ल का सियाह दाग है और जिस पर हर क़रन में दुन्याए इस्लाम मलामत करती रही है और क़यामत तक इस का नाम तहक़ीर के साथ लिया जाएगा।      इसकी शरारते और बेहुदगिया ऐसी है जिन से बद मुआशो को भी शर्म आए। अब्दुल्लाह बिन हन्ज़ला गसिलرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : खुदा की क़सम !  हने यज़ीद पर उस वक़्त खुरुज किया जब हमे अन्देशा हो गया की उस की बदकारियो के सबब आसमान से पथ्थर बरसने लगे।      महरमात के साथ निकाह और सूद वगैरा मुंहिय्यात को इस बे दिन ने अलानिया रवाज दिया। मदीना व मक्का की हुर्मति कराई। ऐसे शख्स की हुकूमत गुर्ग  की चोपानी से ज़्यादा खतरनाक थी।      सी 59 ही में हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه ने दुआ की : या रब ! में तुजसे पनाह मांगता हु सी 60 ही के आगाज़ और लड़को की हुकूमत से।      रुया

सवानहे कर्बला

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सवानहे कर्बला     (Part 01) بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ  विलादत मुबारका_ Arzoo e madina      हज़रते इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه की विलादत 5 शाबान सी 4 ही को मदीने में हुई। हुज़ूर ﷺ ने आप का नाम हुसैन और शब्बीर रखा और आप की कून्यत अबू अब्दुल्लाह और लक़ब सिबते रसूलुल्लाह और रैहानतुर्रसूल है, और आप के बरादरे मुअज़्ज़म की तरह आप को भी जन्नती जवानो का सरदार और अपना फ़रज़न्द फ़रमाया।      हुज़ूर ﷺ को आप رضي الله تعالي عنه के साथ कमाले रफ्त व महब्बत थी। हदिष में इरशाद हुवा : जिस ने इन दोनों (इमामे हसन व हुसैनرضي الله تعالي عنهم) से महब्बत की उस ने मुझ से महब्बत की और जिस ने इन से अदावत की उस ने मुझ से अदावत की।      हुज़ूर ﷺ ने इन दोनों नौनिहालो को फूल की तरह सूंघते और सिनए मुबारक से लिपटाते।      हुज़ूर ﷺ की चची हज़रते उम्मुल फ़ज़्ल बिन्ते अल हारिष हज़रते अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की ज़ौजा एक रोज़ हुज़ूर ﷺ के पास हाज़िर हुई और अर्ज़ की :  याﷺ आज में ने एक परेशान ख्वाब देखा, हुज़ूर ﷺ ने दरयाफ़्त

कभी मुस्लिम लोग इल्म के लिए दीवाने होते थे ,

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कभी मुस्लिम लोग इल्म के लिए दीवाने होते थे  ©Arzooemadina.blogspot.com कभी मुस्लिम लोग इल्म के लिए दीवाने होते थे  कभी मुस्लिम लोग इल्म के लिए दीवाने होते थे , , बगदाद, बुखारा, कार्डोबा, समरकंद इत्यादि इल्म के गहवारे होते थे।  जब मंगोलो ने बगदाद , समरकंद , बुखारा इत्यादि को तबाह और बर्बाद किया तब बड़ी बड़ी लाइब्रेरी थी।  जो कदिनों तक जलती रही , जब कई लाइब्रेरी के किताबो को नदियों में फेंका गया तब नदी का पानी रोशनाई के रंगों में तब्दील हो गया,  इसलिए चंगेज़ के चार में से तीन हुक्मरानी खानदान के वंसज ने बाद में इस्लाम भी कबूला जबके ग्रेट खान मतलब चीन के हुक्मरान ने इस्लाम नही कबूला लेकिन इसी इल्म के कारण बड़े बड़े ओहदे पर बैठे,  मंगोलो की राजधानी बेजिंग का खाका (प्लानिंग) हो या naval expedition या जनरल या माल्यात के निगरान हो  सब बड़े बड़े ओहदों पर मुस्लिम बड़ी संख्या पर बैठे होते थे। इस्लामिक स्पेन के कार्डोबा शहर में ही 100 से ज्यादा लाइब्रेरी थी जिसमे सबसे बड़ी लाइब्रेरी में तब 6 लाख से ज्यादा किताबे थी जब ईसाई यूरोप की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में सिर्फ 600