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Showing posts from March, 2020

गुस्ल का तरीक़ा #07

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*गुस्ल का तरीक़ा* #07 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ गुस्ल का तरीक़ा *निफ़ास की ज़रूरी वज़ाहत*      अक्सर औरतो में ये मशहूर है की बच्चा जनने के बाद औरत 40 दिन तक लाज़िमी तौर पर नापाक रहती है ये बात बिलकुल गलत है। निफ़ास की तफ़सील मुलाहज़ा हो।      बच्चा पैदा होने के बाद जो खून आता है उस को निफ़ास कहते है इसकी ज़्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 दिन है, यानि अगर 40 दिन के बाद भी बंद न हो तो मरज़ है।  लिहाज़ा 40 दिन पुरे होते ही गुस्ल कर ले और 40 दिन से पहले बंद हो जाए ख़्वाह बच्चे की विलादत के बाद एक मिनिट ही में बन्द हो जाए तो जिस वक़्त भी बन्द हो गुस्ल कर ले और नमाज़ व रोज़ा शुरू हो गए।       अगर 40 दिन के अंदर अंदर दोबारा खून आ गया तो शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के शुमार होंगे।       मस्लन विलादत के बाद 2 मिनिट तक खून आ कर बंद हो गया और औरत गुस्ल करके नमाज़ रोज़ा वग़ैरा करती रही, 40 दिन पुरे होने में फ़क़त 2 मिनिट बाकी थे की फिर खून आ गया तो सारा चिल्ला यानी मुकम्मल 40 दिन निफ़ास के ठहरेंग

गुस्ल का तरीक़ा #06

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*गुस्ल का तरीक़ा* #06 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ गुस्ल का तरीक़ा *गुस्ल फ़र्ज़ होने के अस्बाब*      🔹मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा हो कर उज़्व से निकलना।       🔹ऐहतिलाम यानी सोते में मनी का निकल जाना।       🔹शर्मगाह में हश्फ़ा दाखिल हो जाना ख़्वाह शहवत हो या न हो, इन्ज़ाल हो या न हो, दोनों पर गुस्ल फ़र्ज़ है।       🔹हैज़ से फ़ारिग़ होना।       🔹निफ़ास (यानि बच्चा जनने पर खून आता है उस) से फ़ारिग़ होना। *✍🏼बहारे शरीअत, जी.1, स.321-324* *✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 88-89* ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

गुस्ल का तरीक़ा #05

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*गुस्ल का तरीक़ा* #05 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *मस्तुरात (औरत) के लिये गुस्ल की एहतियाते*      ◆ ढलकी हुई पिस्तान को उठा कर पानी बहाए। पिस्तान और पेट के जोड़ की लकीर धोए।      ◆ फ़र्ज़े कारिज (यानि औरत की शर्मगाह के बहार के हिस्से) का हर गोशा हर टुकड़ा ऊपर निचे खूब एहतियात से धोए।       ◆ फ़र्ज़े दाखिल (यानि शर्मगाह के अंदरुनी हिस्से) में ऊँगली दाल कर धोना फ़र्ज़ नहीं मुस्तहब है।       ◆ अगर हैज़ या निफ़ास से फ़ारिग़ हो गुस्ल करे तो किसी पुराने कपड़े से फ़र्ज़े दाखिल के अंदर से खून का असर साफ़ कर लेना मुस्तहब है। *✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.318*      ◆ अगर नेल पोलिश नाखुनो पर लगी हुई है तो उसका भी छुड़ाना फ़र्ज़ है वरना गुस्ल नहीं होगा, हा मेहदी के रंग में हरज नहीं।  *✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा  88*

गुस्ल का तरीक़ा #04

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*गुस्ल का तरीक़ा* #04 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *मर्द व औरत के लिये गुस्ल की एहतियाते* ★ अगर मर्द के सर के बाल गुंधे हुए हो तो उन्हें खोल कर जड़ से नोक तक पानी बहाना फ़र्ज़ है। ★ औरत पर सिर्फ जड़ तर कर लेना ज़रूरी है खोलना ज़रूरी नहीं। हा अगर चोटी इतनी सख्त गुंधी हुई हो के बे खोले जड़े तर न होंगी तो खोलना ज़रूरी है। अगर कानो में बाली या नाक में नथ का छेद हो और वो बंद न हो तो उसमे पानी बहाना फ़र्ज़ है। ★ वुज़ू में सिर्फ नाक के नथ के छेद में और गुस्ल में अगर कान और नाक दोनों में छेद हो तो दोनों में पानी बहाए। ★ भवो, मुछो और दाढ़ी के हर बाल का जड़ से नोक तक और इनके निचे की खाल का धोना ज़रूरी है।  ★ कान का हर पुर्ज़ा और इसके सुराख का मुह धोए। कानो के पीछे के बाल हटा कर पानी बहाए।  ★ ठोड़ी और गले का जोड़, के मुह उठाए बिगैर न धुलेगा।  ★ हाथो को अच्छी तरह उठा कर बगले धोए। बाज़ू का हर पहलू धोए। पीठ का हर ज़र्रा धोए। पेट की बल्टे उठा कर धोए।  ★ नाफ में भी पानी डाले अगर पानी बहने में शक हो तो नाफ में ऊ

गुस्ल का तरीक़ा #03

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गुस्ल का तरीक़ा  #03 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ @arzooemadina.blog *गुस्ल के फराइज़* #02 *नाक में पानी चढ़ाना*      जल्दी जल्दी नाक की नोक पर पानी लगा लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि जहा तक नर्म जगह है यानि सख्त हड्डी के शुरू तक धुलना लाज़िम है।  और ये यु हो सकेगा की पानी को सूंघ कर ऊपर खिंचीये।  ख़याल रखिये की बाल बराबर भी जगह धुलने से न रह जाए वरना गुस्ल न होगा। नाक के अंदर अगर रीठ सुख गई है तो उसका छुड़ाना फ़र्ज़ है, नीज़ नाक के बालो का धोना भी फ़र्ज़ है। *✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स.316* *✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.1, स. 439-440* *तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना*      सर के बालो से ले कर पाउ के तल्वो तक जिस्म के हर पुर्ज़े और हर हर रोंगटे पर पानी बह जाना ज़रूरी है,  जिस्म की बाज़ जगहे ऐसी है की अगर एहतियात न की तो वो सुखी रह जाएगी और गुस्ल न होगा।  *✍🏽बहारे शरीअत, जी.1, स 317* *✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 85-86*

गुस्ल का तरीक़ा #02

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*गुस्ल का तरीक़ा* #02 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ @arzooemadina.blog *गुस्ल के फराइज़* #01 *गुस्ल के 3 फराइज़* 1. कुल्ली करना। 2. नाक में पानी चढ़ाना। 3. तमाम ज़ाहिर बदन पर पानी बहाना। *✍🏽फतावा आलमगिरी, जी.1, स.13* *कुल्ली करना*      मुह में थोडा सा पानी ले कर पच करके डाल देने का नाम कुल्ली नहीं, बल्कि मुह के हर पुर्ज़े, गोशे, होटो से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए। इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालो की तह में, दातो की खिड़कियों और जडो और ज़बान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे।     रोज़ा न हो तो गरगरा भी कर लीजिये की सुन्नत है।      दातो में छलिया के दाने या बोटी के रेशे वग़ैरा हो तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है। हा अगर छुड़ाने में ज़रर (यानि नुक्सान) का अंदेशा हो तो मुआफ़ है,      गुस्ल से क़ब्ल दातो में रेशे वग़ैरा महसूस न हुए और रह गए, नमाज़ भी पढ़ ली बाद को मालुम होने पर छुड़ा कर पानी बहाना फ़र्ज़ है, पहले जो नमाज़ पढ़ी थी वो हो गई।      जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाल

गुस्ल का तरीका #01

गुस्ल का तरीका #01 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ      बिगैर ज़बान हिलाए दिल में इस तरह निय्यत कीजिये की में पाकी हासिल करने के लिये गुस्ल करता हु। ◆ पहले दोनों हाथ पहुचो तक 3-3 बार धोइए ◆ फिर इस्तिन्जे की जगह धोइए ख़्वाह नजासत हो या न हो ◆ फिर जिस्म पर अगर कही नजासत हो तो उसको दूर कीजिये. ◆ फिर नमाज़ का सा वुज़ू कीजिये मगर पाउ न धोइये, हा अगर चौकी वग़ैरा पर गुस्ल कर रहे है तो पाउ धो लीजिये ◆ फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ लीजिये, खुसुसन सर्दियो में (इस दौरान साबू भी लगा सकते है) ◆ फिर 3 बार सीधे कंधे पर पानी बहाइये, फिर 3 बार उलटे कंधे पर फिर सर पर और तमाम बदन पर 3 बार ◆ फिर गुस्ल की जगह से अलग हो जाइये ◆ अगर वुज़ू करने में पाउ नहीं धोए थे तो अब धो लीजिये ● नहाने में क़िबला रुख न हो, तमाम बदन पर हाथ फेर कर मल कर नहाइए। ◆ दौराने गुस्ल किसी किस्म की गुफ्तगू मत कीजिये, कोई दुआ भी न पढ़िये,  नहाने के बाद तोलिये वग़ैरा से बदन पोछने में हरज नहीं। नहाने के बाद फौरन कपड़े पहन ल